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चाँद के साथ जो पैगामे खुशी लाती है

वर्ष २००९, तारीख़ २१ सितम्बर। आज हम सब ईदुलफितर मानाने जा रहे है। आप सबको ईद बहुत-बहुत मुबारक! इस वर्ष तो हम यह पर्व २१ सितम्बर को मना रहे है, लेकिन क्या पिछले वर्ष भी यह त्यौहार २१ सितम्बर को ही मनाया गया था? जैसे मकर संक्रांति हर साल १४ जनवरी को माने जाती है और क्रिसमस २५ दिसम्बर को आता है, उसी तरह क्या ईद भी हर साल २१ सितम्बर को ही माने जाती है? नहीं, पिछले वर्ष यह पर्व २१ सितम्बर को नहीं, बल्कि २ अक्टूबर को माने गया था।
यह त्यौहार अंग्रजी कैलेंडर के अनुसार नहीं मनाया जाता , इसलिए हर वर्ष यह अलग-अलग अंग्रेजी तारीखों पर पड़ता है। कभी यह त्यौहार गर्मियों में आता है, तो कभी कड़कडाती सर्दियों में। और कभी बरसात में मनाया जाता है, तो कभी मौसमे-बहार में।
इदुलफितर एक इस्लामी पर्व है, जिसे पूरी दुनिया में फैले इस्लाम धर्म के अनुयायी धूम-धाम से मानते है। जिस प्रकार ईसाईयों के पर्व किस्मस इत्यादि अंग्रेजी महीनों और तिथियों अर्थात ईस्वी संवत्सर के अनुसार तथा हिन्दुओं के पर्व भारतीय महीनों और तिथियों अर्थात विक्रम संवत्सर के अनुसार मनाए जाते है, उसी तरह से सभी इस्लामी पर्व अरबी या इस्लामी महीनों अर्थात हिजरी संवत्सर के अनुसार ही मनाए जाते है। इस्लामी या हिजरी संवत्सर हजरत मुहम्मद साहिब (सल्ल०) की हिजरत से शुरू होता है।
इससे एक बात स्पष्ट है की क्रिस्चियन कैलेंडर की तरह इस्लाम और हिंदू कैलेंडर भी अत्यन्त विकसित और वैज्ञानिक गणनाओं पर आधारित रहा है। फर्क यह है की इस्लामी कैलेंडर चंद्रमा की गति की गणना के अनुसार चलता है, जबकि क्रिस्चियन और हिंदू कैलेंडर सूर्य की गति के अनुसार। हिन्दुओं के कुछ कैलेंडर चंद्र गणना पर भी आधारित है, लेकिन वे कम प्रचलित है। उनसे इस्लामी कैलेंडर की गणनाओं में अनेक समानताएं मिलती है।
वैसे तो अरबी महीनों की संख्या भी बारह ही है, लेकिन क्योंकि अरबी महीन चंद्रमास पर आधारित है, इसलिए इसका एक महिना लगभग शधे उनतीस दिन का तथा साल ३५४ दिन का का होता है, जो ईस्वी संवत्सर (क्रिस्चियन साल के ३६५ दिनों ) से कम दिन का रह जाता है। यही वजह है की अंग्रेजी तारीख के अनुसार अरबी साल हर पिछले साल के मुकाबले ग्यारह दिन पहले ही शुरू हो जाता है तथा ईद तथा बाकि दुसरे इस्लामी त्यौहार भी हर पिछले साल के मुकाबले ग्यारह दिन पहले ही पड़ जाते है। लीप वर्ष में २९ फरवरी के बाद आने वाले पर्वों में पिछले साल के मुकाबले बारह दिन का अन्तर आ जाता है। यदि इस साल इदुलफितर शरद ऋतु के प्रारम्भ में मनाई जा रही है, तो दस-बारह वर्ष बाद यह अवश्य ही वसंत के प्रारम्भ में मनाई जाएगी।
ईद चाहे जिस अंग्रेजी महीने या तारीख को पड़े, लेकिन अरबी महीनों के अनुसार यह शव्वाल माह की पहली तारीख को ही मनाई जाती है। शव्वाल से पहले महीने रमजान में पूरे महीने रोजे रखे जाते है। रमजान की समाप्ति पर सव्वाल माह में जब भी चाँद दिखाई देता है उससे अगले दिन शव्वाल की पहली तारीख पड़ती है और यही दिन निश्चित है प्रतिवर्ष इदुलफितर मनाने का।
इदुलफितर ही नहीं, ईदुज्जुहा या बकरीद तथा दुसरे सभी इस्लामी पर्व भी इसी तरह अरबी महीनों तथा दिनों के अनुसार ही मनाए जाते है। ईदुज्जुहा या बकरीद हमेशा अरबी माह जिलहिज्जा की दसवीं तारीख को पड़ती है तथा मुहर्रम या यौमे-आशुरा अर्थात हजरत इमं हुसैन का शहीदी दिवस अरबी महीने मुहर्रम की दसवीं तारीख को। इस्लाम के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहिब (सल्ल०) का यौमे-पैदाइश अर्थात जन्म दिन ईदे-मीलादुन्नबी हमेशा रबी उल-अव्वल माह की बारहवीं तारीख को मनाया जाता है। यदि इदुलफितर का त्यौहार किसी साल जनवरी के प्रारम्भ में ११ तारीख तक कभी भी पड़ जाता है तो अंग्रेजी कैलेंडर (ईस्वी सन) के अनुसार इदुलफितर उसी ईस्वी सन में दिसम्बर के अंत में २० या ३१ तारीख के बीच अवश्य मनाई जाएगी। यदि इदुलफितर का त्यौहार किसी साल दीपावली के एक दिन बाद पड़ता है तो ठीक ३३ साल बाद भी वह दीपावली के एक दिन बाद पड़ेगा। अ़ब तो आप अवश्य ही समझ गए होंगे की इस्लामी त्यौहार हर वर्ष अंग्रेजी तारीख के अनुसार ग्यारह या बारह दिन पहले क्यों आ जाते है।

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