सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

सितंबर, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आपकी प्यास, आपका रास्ता

एक बार गौतम बुद्ध एक गांव में ठहरे थे। एक व्यक्ति ने उनको आकर कहा कि आप रोज कहते हैं कि हर व्यक्ति मोक्ष पा सकता है। लेकिन हर व्यक्ति मोक्ष पा क्यों नहीं लेता है? बुद्ध ने कहा, मेरे मित्र, एक काम करो। संध्या को गांव में जाना और सारे लोगों से पूछकर आना, वे क्या पाना चाहते हैं। एक फेहरिस्त बनाओ। हर एक का नाम लिखो और उसके सामने लिख लाना, उनकी आकांक्षा क्या है। वह आदमी गांव में गया। उसने एक-एक आदमी को पूछा। थोडे-से लोग थे उस गांव में, सबने उत्तर दिए। वह सांझ को वापस लौटा। उसने बुद्ध को आकर वह फेहरिस्त दी। बुद्ध ने कहा, इसमें कितने लोग मोक्ष के आकांक्षी हैं? वह बहुत हैरान हुआ। उसमें एक भी आदमी ने अपनी आकांक्षाओं में मोक्ष नहीं लिखाया था। बुद्ध ने कहा, हर आदमी पा सकता है, यह मैं कहता हूं। लेकिन हर आदमी पाना चाहता है, यह मैं नहीं कहता। हर आदमी पा सकता है, यह बहुत अलग बात है और हर आदमी पाना चाहता है, यह बहुत अलग बात है। अगर आप पाना चाहते हैं, तो यह आश्वासन मानें। अगर आप सच में पाना चाहते हैं तो इस जमीन पर कोई ताकत आपको रोकने में समर्थ नहीं है। अगर आप नहीं पाना चाहते तो इस जमीन पर कोई ताकत आपको

छुरी से भी तेज होती है शब्दों की चुभन

इस दुनिया में सिर्फ जुबान ही कड़वी और मीठी भी है ऐसा कहा जाता है कि किसी तीखे हथियार से ज्यादा गहरे जख्म किसी के तीखे शब्दों के होते हैं क्योंकि हथियार से किए गए जख्म तो भर जाते हैं लेकिन शब्दों के जख्म कभी नहीं भरते। आपकी बोली भी आपके व्यक्तित्व का एक आइना होती है अगर आप मीठा नहीं बोल सकते तो कोई बात नहीं लेकिन कोशिश करें कि आप जो भी बोले उससे किसी की भावनाओं का ठेस ना पहुंचे। एक बार चार दोस्त बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे। उनमें से एक ने पूछा कि संसार में मीठा क्या है? और तीखा क्या है? सभी ने अपनी राय दी किसी ने कहा गुड़ मीठा है। किसी ने कहा शक्कर। किसी ने कहा रसगुल्ले सभी ने मनपसंद चीजों के नाम बताए।उनमें से एक दोस्त ने कहां कि मेरी राय में तो जुबान ही कड़वी और मीठी होती है। सब दोस्तों ने उसका खुब मजाक बनाया कहा ये कैसी अजीब बात है। उस बात को बहुत दिन गुजर गए। एक दिन उस दोस्त ने अपने सारे दोस्तों को खाने पर बुलाया। उसने अपने घर में दावत की पूरी तैयारी कर रखी थी। खाना लाजवाब बना था। अब सभी लोग खाना खाने बैठे तो वह बोला आप लोग तो ऐसे खा रहे हैं जैसे कभी खाना देखा ही नहीं ये सुनकर सभी दोस्त

ये हैं भारतीय इतिहास के युगनायक शिक्षक

भारतीय इतिहास में एक से बढ़कर एक शिक्षक रहे हैं। राम से लेकर विवेकानंद तक जितने भी युगनायक हुए हैं, उनके पीछे किसी महान गुरु का आशीर्वाद और शिक्षा रही है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन से ऐसे महान गुरु हैं जिन्होंने युगनायकों को जन्म दिया है। सांदीपनि - भगवान श्रीकृष्ण के गुरु आचार्य सांदीपनि थे। उज्जैयिनी वर्तमान में उज्जैन में अपने आश्रम में आचार्य सांदीपनि ने भगवान श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी। भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण ने सर्वज्ञानी होने के बाद भी सांदीपनि ऋषि से शिक्षा ग्रहण की और ये साबित किया कि कोई इंसान कितना भी प्रतिभाशाली या गुणी क्यों न हो, उसे जीवन में फिर भी एक गुरु की आवश्यकता होती ही है। भगवान श्रीकृष्ण ने 64 दिन में ये कलाएं सीखीं थी। सांदीपनि ऋषि परम तपस्वी भी थे, उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर यह वरदान प्राप्त किया था कि उज्जैयिनी में कभी अकाल नहीं पड़ेगा। वशिष्ठ - त्रैतायुग में भगवान राम के गुरु रहे श्री वशिष्ठ भी भारतीय गुरुओं में उच्च स्थान पर हैं। भगवान राम की प्रतिभा और उनके सद्व्यवहार को सबसे पहले श्री वशिष्ठ ने ही पहचाना। उन्होंने भगवा