नमस्कार पाठक गण ,
आज जिस व्यंजन को ले कर आपके सामने प्रस्तुत हुआ हूँ उसका स्वाद 80% विवाहित पुरुषों / स्त्रियों को जीवन में अक्सर ही चखने को मिलता रहता है , हमारे अविवाहित पाठकगण अभी इस का स्वाद नहीं जानते , पर जब तक नहीं जानते , तब तक ही ठीक है वरना आगे चल कर उनको भी इसका स्वाद चखना ही है.
आज संतुलन पर कुछ बातें आपके साथ बांटना चाहूँगा , जीवन में संतुलन का कितना महत्त्व है ये आप सभी , भली भाँती जानते हैं , अगर हमें संतुलित मात्रा में आहार न मिले तो शरीर रोगी हो जाता है , सही मात्र में आराम न मिले तो भी कुछ ऐसा ही होता है , हमें अपने जीवन को शारीरिक , मानसिक , अध्यात्मिक आदि क्षेत्रों में संतुलित रखने की आवश्यकता सदैव रहती है,
पर आज मै जिस संतुलन की बात कर रहा हूँ वो इन सब से अलग है , और वो है हमारे सबसे नजदीकी , करीबी , और सबसे महत्वपूरण रिश्तों के मध्य संतुलन – पत्नी और माँ के बीच का संतुलन .
जीवन का एक बहुत बड़ा समय , हम अपने माँ की गोद और आँचल में , और बाप की , कभी ऊँगली पकड़ कर तो कभी कंधे और कभी साथ गुज़रते हैं और फिर , जब हम जवान हो जाते हैं , कमाने धमाने लगते हैं तो फिर हमारे साथ एक और रिश्ता जुड़ जाता है , और वो है , हमारी अर्धांग्नी का , जिसे आप , पत्नी , बीवी , लाइफ पार्टनर और जो भी नाम दें का . शादी के पहले आप के जीवन में कोई भी गलती केवल आपकी होती थी , पर शादी के बाद आपकी गलतियाँ केवल आपकी नहीं बल्कि , किसी और की भी हो जाती है.
अगर कभी पत्नी और माँ के बीच कहा सुनी हो जाए तो फिर आप घोर मुसीबत में घिर जाते हैं , अगर आपने पत्नी का साथ दिया तो आप पर सीधा हमला होगा की आप तो जोरू के गुलाम हो गएँ हैं , और अगर माँ का साथ दिया तो पत्नी आपको ताने देगी की मुझे लाने की क्या आवश्यकता थी , आप तो अभी भी माँ के पल्लू से बंधे हुए है , दोनों ही सूरत में … ….. आपका बंटाधार होना ही है.
यहाँ इन समस्या से बचने के लिए अगर कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो ऐसी स्थिति उत्पन्न होने के चांसेस कम रहेंगे, जैसे :
1. पत्नी के सामने कभी भी माँ की बड़ाई न करें , इस से उसके भीतर कहीं न कहीं प्रति स्पर्धा की भावना , नहीं तो हीन भावना पैदा हो जाने की संभावना है .
2. उस से किसी बात पर ये न कहें की मै अपने माता पिता को कुछ नहीं कह सकता इस लिए तुमसे कह रहा हूँ , तुम ही समझ जाओ, आखिर जब आपके माँ बाप, जिनके साथ आपने सारा जीवन बिताया है, आप उनको कुछ नहीं कह सकते या समझा सकते तो …….
3. मेरे माता पिता का वयवहार तो सदा से ही ऐसा है , तुम को ही अपने आपको बदलना पड़ेगा
4. मेरे माता पिता मेरे लिए पूरी दुनिया में सब से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं
5. पत्नी को समझाएं की जिस तरह वो अपने माता पिता को प्यार करती है और उनका आदर करती है , उसी तरह आप भी , अपने माता पिता को प्यार और उनका आदर करते हैं , जिस तरह वो अपने माँ बाप को दुःख नहीं पहुँचाना चाहती वैसे आप भी.. …
6. अपने माता पिता को भी ये समझाएं की घर की ये नयी सदस्य है , और इस परिवार से जुड़ने के लिए उसने अपना परिवार छोड़ा है , वो इस घर के तौर तरीके से , रीति रिवाज से अनभिज्ञ है , उसे समय दें की वो इन सब बातों को जान सकें और अपना सकें.
7. उन्हें ये भी बताएं की अगर वो कोई गलती करती हैं तो उसे अनदेखा करें या प्यार से समझाएं , जिस तरह की आप्को आपकी गलतियों पर समझया जाता था , आखिर वो आपकी पत्नी है , और आपके जीवन का आने वाला सारा समय उसके ही साथ बीतने वाला है.
8. उनको ये भी बताएं की अगर घर में तनाव होगा तो इसका असर सब पर होगा , और तनाव वाले वातावरण में आने वाली पीढ़ी का सही पालन पोषण संभव नहीं होगा , उसका विकास ठीक से नहीं होगा.
9. आप स्वयं अपने आपको मानसिक तौर पर शांत रखें , अगर आप आवेश में आते हैं तो इस से किसी का भला नहीं होगा , इस बात को समझे की इन दोनों में एक आपकी जीवन साथी है और दूसरी जीवन देने वाली , और फिर दोनों को ही साथ बिठा कर अगर कोई समस्या हो तो उसको सुलझाएं.
आशा है की आप सब इन समस्याओं से निकलने का मार्ग पहले से ही निकाल चुके होंगे , और अगर कुछ ऐसे ही और विधियां आपके पास हैं तो कृपा कर मुझे भी बताएं , आभारी रहूँगा.
आज जिस व्यंजन को ले कर आपके सामने प्रस्तुत हुआ हूँ उसका स्वाद 80% विवाहित पुरुषों / स्त्रियों को जीवन में अक्सर ही चखने को मिलता रहता है , हमारे अविवाहित पाठकगण अभी इस का स्वाद नहीं जानते , पर जब तक नहीं जानते , तब तक ही ठीक है वरना आगे चल कर उनको भी इसका स्वाद चखना ही है.
आज संतुलन पर कुछ बातें आपके साथ बांटना चाहूँगा , जीवन में संतुलन का कितना महत्त्व है ये आप सभी , भली भाँती जानते हैं , अगर हमें संतुलित मात्रा में आहार न मिले तो शरीर रोगी हो जाता है , सही मात्र में आराम न मिले तो भी कुछ ऐसा ही होता है , हमें अपने जीवन को शारीरिक , मानसिक , अध्यात्मिक आदि क्षेत्रों में संतुलित रखने की आवश्यकता सदैव रहती है,
पर आज मै जिस संतुलन की बात कर रहा हूँ वो इन सब से अलग है , और वो है हमारे सबसे नजदीकी , करीबी , और सबसे महत्वपूरण रिश्तों के मध्य संतुलन – पत्नी और माँ के बीच का संतुलन .
जीवन का एक बहुत बड़ा समय , हम अपने माँ की गोद और आँचल में , और बाप की , कभी ऊँगली पकड़ कर तो कभी कंधे और कभी साथ गुज़रते हैं और फिर , जब हम जवान हो जाते हैं , कमाने धमाने लगते हैं तो फिर हमारे साथ एक और रिश्ता जुड़ जाता है , और वो है , हमारी अर्धांग्नी का , जिसे आप , पत्नी , बीवी , लाइफ पार्टनर और जो भी नाम दें का . शादी के पहले आप के जीवन में कोई भी गलती केवल आपकी होती थी , पर शादी के बाद आपकी गलतियाँ केवल आपकी नहीं बल्कि , किसी और की भी हो जाती है.
अगर कभी पत्नी और माँ के बीच कहा सुनी हो जाए तो फिर आप घोर मुसीबत में घिर जाते हैं , अगर आपने पत्नी का साथ दिया तो आप पर सीधा हमला होगा की आप तो जोरू के गुलाम हो गएँ हैं , और अगर माँ का साथ दिया तो पत्नी आपको ताने देगी की मुझे लाने की क्या आवश्यकता थी , आप तो अभी भी माँ के पल्लू से बंधे हुए है , दोनों ही सूरत में … ….. आपका बंटाधार होना ही है.
यहाँ इन समस्या से बचने के लिए अगर कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो ऐसी स्थिति उत्पन्न होने के चांसेस कम रहेंगे, जैसे :
1. पत्नी के सामने कभी भी माँ की बड़ाई न करें , इस से उसके भीतर कहीं न कहीं प्रति स्पर्धा की भावना , नहीं तो हीन भावना पैदा हो जाने की संभावना है .
2. उस से किसी बात पर ये न कहें की मै अपने माता पिता को कुछ नहीं कह सकता इस लिए तुमसे कह रहा हूँ , तुम ही समझ जाओ, आखिर जब आपके माँ बाप, जिनके साथ आपने सारा जीवन बिताया है, आप उनको कुछ नहीं कह सकते या समझा सकते तो …….
3. मेरे माता पिता का वयवहार तो सदा से ही ऐसा है , तुम को ही अपने आपको बदलना पड़ेगा
4. मेरे माता पिता मेरे लिए पूरी दुनिया में सब से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं
5. पत्नी को समझाएं की जिस तरह वो अपने माता पिता को प्यार करती है और उनका आदर करती है , उसी तरह आप भी , अपने माता पिता को प्यार और उनका आदर करते हैं , जिस तरह वो अपने माँ बाप को दुःख नहीं पहुँचाना चाहती वैसे आप भी.. …
6. अपने माता पिता को भी ये समझाएं की घर की ये नयी सदस्य है , और इस परिवार से जुड़ने के लिए उसने अपना परिवार छोड़ा है , वो इस घर के तौर तरीके से , रीति रिवाज से अनभिज्ञ है , उसे समय दें की वो इन सब बातों को जान सकें और अपना सकें.
7. उन्हें ये भी बताएं की अगर वो कोई गलती करती हैं तो उसे अनदेखा करें या प्यार से समझाएं , जिस तरह की आप्को आपकी गलतियों पर समझया जाता था , आखिर वो आपकी पत्नी है , और आपके जीवन का आने वाला सारा समय उसके ही साथ बीतने वाला है.
8. उनको ये भी बताएं की अगर घर में तनाव होगा तो इसका असर सब पर होगा , और तनाव वाले वातावरण में आने वाली पीढ़ी का सही पालन पोषण संभव नहीं होगा , उसका विकास ठीक से नहीं होगा.
9. आप स्वयं अपने आपको मानसिक तौर पर शांत रखें , अगर आप आवेश में आते हैं तो इस से किसी का भला नहीं होगा , इस बात को समझे की इन दोनों में एक आपकी जीवन साथी है और दूसरी जीवन देने वाली , और फिर दोनों को ही साथ बिठा कर अगर कोई समस्या हो तो उसको सुलझाएं.
आशा है की आप सब इन समस्याओं से निकलने का मार्ग पहले से ही निकाल चुके होंगे , और अगर कुछ ऐसे ही और विधियां आपके पास हैं तो कृपा कर मुझे भी बताएं , आभारी रहूँगा.
टिप्पणियाँ
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......