आजकल पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। लंबे समय तक बातें नहीं होती। एक-दूसरे की आवश्यकताओं को समझते नहीं, भावनाओं को पहचानते नहीं। रिश्ते ऐसे हों कि उनमें शब्दों की आवश्यकता ही न पड़े, बिना कहे-बिना बताए आप समझ जाएं कि आपके साथी के मन में क्या चल रहा है। ऐसी समझ प्रेम से पनपती है। यह रिश्ते का सबसे सुंदर हिस्सा होता है कि आप सामने वाले की बात बिना बताए ही समझ जाएं।
दाम्पत्य के लिए राम-सीता का रिश्ता सबसे अच्छा उदाहरण है। इस रिश्ते में विश्वास और प्रेम इतना ज्यादा है कि यहां भावनाओं आदान-प्रदान के लिए शब्दों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। एक प्रसंग है वनवास के समय जब राम-सीता और लक्ष्मण चित्रकूट के लिए जा रहे थे। रास्ते में गंगा नदी पड़ती है। गंगा को पार करने के लिए राम ने केवट की सहायता ली। केवट ने तीनों को नाव से गंगा नदी के पार पहुंचाया। केवट को मेहनताना देना था। राम के पास देने के लिए कुछ भी नहीं था। वे केवट को देने के लिए नजरों ही नजरों में कुछ खोजने लगे।
सीता ने राम के हावभाव से ही उनके मन की बात जान ली। वे बिना कहे ही समझ गई कि राम केवट को देने के लिए कोई भेंट के लायक वस्तु खोज रहे हैं। सीता ने राम की मनोदशा को समझते हुए अपने हाथ से एक अंगुठी निकालकर केवट को दे दी। इस पूरे प्रसंग में न तो राम ने सीता से कुछ कहा और न ही सीता ने राम से कुछ पूछा लेकिन दोनों की ही भावनाओं का आदान-प्रदान हो गया।
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......