जनता की उम्मीदों को सही ठहराते हुए नीतीश कुमार बिहार के बिग बॉस साबित हुए. पेश है नीतीश कुमार के सियासी सफर पर की एक झलक...
नाम: नीतीश कुमार
वर्तमान पद: बिहार के 31वें मुख्यमंत्री
भविष्य का पद: बिहार के 32वें मुख्यमंत्री
खासियत: लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनना तय
यह बेहद छोटा-सा, लेकिन बड़ा ही सटीक परिचय है नीतीश कुमार का. कहता तो कमोबेश हर कोई यही था कि बिहार में पिछले पांच सालों का नीतीश का सुशासन उन्हें इस बार भी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाएगा, लेकिन 2010 विधानसभा चुनावों में इतनी शानदार सफलता मिलेगी, यह शायद ही किसी ने सोचा था. चेहरे पर हर वक्त मुस्कान, चाल में गजब का आत्मविश्वास और जुबां से हमेशा सधी हुई बात-यही तो खासियत है बिहार के फिर से बिग बॉस बन चुके नीतीश कुमार की. आखिर लालू प्रसाद को लगातार दो बार पटखनी देना किसी बच्चे का खेल नहीं है.
1 मार्च 1951 ही वो तारीख थी, जब स्वतंत्रता सेनानी कविराज रामलखन सिंह और परमेश्वरी देवी के घर नीतीश का जन्म हुआ था. उनका जन्म पटना जिले के हकीकतपुर गांव(बख्तियारपुर) में हुआ था. उम्र बढती गई और झुकाव राजनीति की ओर खुद ब खुद बढ़ता चला गया. नीतीश 1974 में जेपी आंदोलन से जुड़े. जेपी आंदोलन के वे सक्रिय कार्यकर्ता रहे, जिन्हें 1974 में आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान ही वे समता पार्टी मूवमेंट के संस्थापक सदस्य भी थे.
बीएससी (मेकेनिकल) करने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पटना से पूरी की. 1985 में पहली बार बिहार विधानसभा की सीढ़ियों पर बतौर विधायक कदम रखा. 1987 में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष बने. 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया और उसी वर्ष वे नौंवी लोकसभा के सदस्य भी चुने गये थे. 1990 में वे पहली बार केन्द्रीय मंत्रिमंडल में बतौर कृषि राज्यमंत्री शामिल हुए. 1991 में वे एक बार फिर लोकसभा के लिए चुने गये और उन्हे इस बार जनता दल का राष्ट्रीय सचिव चुना गया तथा संसद में वे जनता दल के उपनेता भी बने.
1989 और 2000 में उन्होंने बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 1998-1999 में कुछ समय के लिए वे केन्द्रीय रेल एवं भूतल परिवहन मंत्री भी रहे, और अगस्त 1999 में गैसाल में हुई रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने पद से अपना इस्तीफा दे दिया.राजनीतिक करियर में उनका कारवां मिसाल कायम करते हुए आगे बढ़ता गया. दिल्ली में सबसे लंबा कार्यकाल रहा रेल मंत्री के तौर पर और नीतीश के मजबूत फैसलों की वजह से विरोधियों ने भी तालियां बजाई.
24 नवंबर, 2005 को नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली. लालू और आरजेडी के 15 साल के शासन को अपनी साफ-सुथरी छवि से धराशायी करना आसान नहीं था, लेकिन बिहार की जनता को शायद नीतीश की शख्सियत में ही अपने विकास का युगपुरुष दिखा. कहा गया कि नीतीश को विरासत में 15 साल का वो बदहाल बिहार मिला, जिसे उबारने में कई साल लग जाते. लेकिन नीतीश ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, कर्मठ फैसलों और बेदाग नेतृत्व के बूते बिहार की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल दी.
24 नवंबर, 2010 जेडीयू-बीजेपी गठबंधन फिर हुआ विजयी हुआ. अगले 5 साल के लिए जनता ने फिर से नीतीश और उनकी टीम पर भरपूर भरोसा जताया है. आखिर अपने राज्य की बेहतरी और विकास से किसे सुकून नहीं मिलेगा.
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......