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बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को पूरे भक्तिमय वातावरण में सूर्य की उपासना का पर्व छठ मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत द्वापर काल से होने का उल्लेख है।

कहते हैं कि लोग उगते हुए सूर्य को प्रणाम करते हैं लेकिन यह ऐसा अनोखा पर्व है, जिसकी शुरुआत डूबते हुए सूर्य की अराधना से होती है। इस साल हालांकि महंगाई के जोर पकड़ने के बावजूद लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। जानी मानी भोजपुरी लोक गायिका प्रो. शारदा सिन्हा छठ की महिमा एवं महंगाई को गीतों के माध्यम से व्यक्त करते हुए कहती हैं, 'नाही छोड़ब हो भइया छठिया बरतिया, लेले अइहा हो भइया छठ के मोटरिया। अबकी त बहिनी महंग भइल गेहूंआ..छोड़ी देहु ए बहिनी छठ के बरतिया।'

श्रीमती सिन्हा ने कहा कि भक्ति एवं शुद्धता को विशेष रूप से महत्व देने वाले छठ पर्व के प्रारंभ का उल्लेख द्वापर काल में मिलता है। कहा जाता है कि सूर्य पुत्र अंगराज कर्ण सूर्य के बड़े उपासक थे और वह नदी के जल में खड़े होकर भगवान सूर्य की पूजा करते थे। पूजा के पश्चात कर्ण किसी याचक को कभी खाली हाथ नहीं लौटाते थे। उन्होंने कहा कि छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय-खाय से शुरू हो जाती है जब छठव्रती स्नान एवं पूजा पाठ के बाद शुद्ध अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करते हैं।

इस वर्ष छठ पर्व में संध्या अ‌र्घ्य 12 नवंबर को और प्रात: काल का अ‌र्ध्य 13 नवंबर को है। बीते कल यानी बुधवार को नहाय खाय के तौर पर व्रतियों के साथ-साथ आम श्रद्धालुओं व लोगों ने छठ पूजा की विधिवत शुरुआत की। बृहस्पतिवार को खरना के तौर पर पूजा की जाएगी। व्रतियों के लिए आज से ही व्रत करने की शुरुआत होगी।

पंचमी को दिनभर खरना का व्रत रखकर व्रती शाम को गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन करते हैं। इसके बाद शुरू होता है 36 घंटे का निर्जला व्रत। महापर्व के तीसरे दिन शाम को व्रती डूबते सूर्य की अराधना करते हैं जब व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देते हैं। पूजा के चौथे दिन व्रतधारी उदयीमान सूर्य को दूसरा अ‌र्घ्य समर्पित करते हैं। इसके पश्चात 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है और व्रती अन्न जल ग्रहण करते हैं। इस अ‌र्ध्य में फल, नारियल के अतिरिक्त ठेकुआ का काफी महत्व होता है।

नहाय-खाय की तैयारी के दौरान महिलाओं के एक ओर जहां गेहूं धोने और सुखाने में व्यस्त देखा जा सकता है वहीं महिलाओं के एक हुजूम को बाजारों में चूड़ी, लहठी, अलता और अन्य सुहाग की वस्तुएं खरीदते देखा जा सकता है। बिहार के औरंगाबाद जिले के पौराणिक देव स्थल में लोकपर्व कार्तिक छठ पर्व पर चार दिवसीय छठ मेले की भी शुरुआत हो गई। यहां त्रेतायुग में स्थापित प्रचीन सूर्य मंदिर में वृदह सूर्य मेले का आयोजन किया जाता है।

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