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नये साल की शुरुआत पॉजिटिव थिंकिग के साथ



सक्सेस केवल मेहनत से नहीं मिलती, इसके लिए पॉजिटिव नजरिया भी होना चाहिए। कई लोग थोड़ी सी परेशानियों से घबरा जाते हैं, जब संकट आता है तो यह मानकर की सारी मेहनत बेकार गई, वे निराश होकर बैठ जाते हैं। सफलता उन्हें मिलती है जो कभी निराश नहीं होते, परेशानी और मुसीबत में भी अपने लिए कुछ पॉजिटिव ही तलाशते हैं। जो चुनौतियों स्वीकार करते हैं और उन चुनौतियों को पूरा करने में पूरे मन से लग जाते हैं, सफलता उन्हें जल्दी मिल जाती है।

एक बार नारद मुनि धरती पर घूमते हुए एक जंगल में पहुंचे। वहां उन्होंने एक अजीब नजारा देखा एक साधु एक पैर पर खड़ा होकर तपस्या कर रहा है, दूसरी ओर एक ग्वाला पेड़ के नीचे बैठकर बांसुरी बजा रहा है। नारद को देखकर दोनों उनके पास आ गए। साधु ने नारदजी से कहा भगवन आप तो सारे लोकों में घूमते हैं, क्या आप मेरा एक काम करेंगे? नारदजी ने कहा बताओ, साधु ने कहा मैं कई सालों से तपस्या कर रहा हूं क्या आप भगवान विष्णु से पूछकर बता सकते हैं कि मुझे मोक्ष कब मिलेगा? नारद ने कहा ठीक मैं अभी पूछकर आता हूं। तभी ग्वाले ने भी उनसे कहा अब आप जा ही रहे हैं तो मेरे बारे में भी पूछ लेना कि मुझे कब मोक्ष मिलेगा। नारदजी अंतध्र्यान हो गए।
थोड़ी देर बाद लौटे उन्होंने साधु से कहा मैंने नारायण से पूछा है, तुम्हें चालीस जन्मों के बाद ही मोक्ष मिल जाएगा। साधु निराश होकर बैठ गए। सारी तपस्या बेकार गई। बरसों बीत गए और कई सदियां और लग जाएंगी अभी। ग्वाले ने पूछा मुझे कब मोक्ष मिलेगा। नारद जी बोले अभी तुम्हें तीन सौ बार और जन्म लेना पड़ेगा। ग्वाला झूमने लगा, मेरे इतने ही जन्म और होंगे, मैं इतने समय तक और भजन कर सकूंगा, इस लोक के सुख भोग फिर भगवान मुझे अपनी सेवा में बुला लेंगे। नारद ने देखा तभी एक दिव्य वाहन वैकुंठधाम से आया, भगवान विष्णु के दूतों ने ग्वाले को उस विमान में बिठाया और अपने साथ ले।

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