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बेवकूफ मत समझना

महानगरीय जीवन में न जाने किन-किन चीजो से डर लगता है। यहाँ डर के भी कई प्रकार है। इनमे से एक है - बेवकूफ बन्ने का डर। हम हर समय इस बात को लेकर सचेत रहते है की कोई हमे बेवकूफ तो नहीं बना रहा। हम सब्जी लेने जाते है। सब्जी वाला जो रेट बताता है उसे सुनते ही पहला ख्याल यही आता है की कहीं यह बेवकूफ तो नहीं बना रहा। हम उसी क्षण मोलभाव प्र उतर आते है। रिक्शे पर बैठे नही की लगने लगता है - यह जरुर ठगेगा, ज्यादा किराया लेगा। बिजली मिस्त्री, प्लंबर या मिकैनिक से कोई भी काम करवाने के बाद भी यही अहसास होता रहता है। बेचारा मध्यमवर्ग! उसे हरदम लगता है की वह लुट रहा है। वह बेवकूफ बन्ने से बचने के लिए तरह-तरह की कवायदे करता रहता है। इसके लिए वह दुसरो को बेवकूफ कहने लगता है। एक आदमी कहता है - देखो हमने यह शर्ट खरीदी है फलां दुकान से दो सौ रुपया में। छूटते ही उसका मित्र कहता है - तुम बेवकूफ बन गए न। यह तो डेढ़ सौ से ज्यादा की नहीं है। एक रास्ता और भी है। इससे पहले की कोई आपको बेवकूफ समझे आप उस पर हावी हो जाइये। अपना ज्ञान इतना बधारिये की दूसरा डर जाए। वह आपको मुर्ख समझने की हिमाकत ही न करे। इसलिए महानगर में हर आदमी अपने ज्ञान का ढिंढोरा पिटते नजर आता है। आप बीमारी की बात कीजिये पता चलेगा की सामने वाला दुनिया भर की बीमारी के बरे में जानता है। आप कमीज पर बात कीजिये, सामने वाला महान कमीज विशेषज्ञ निकल जाएगा। जब टीवी पर क्रिकेट मैच आ रहा है तब देखिये। दफ्तरों में या किसी अन्य सामूहिक जगह पर मजेदार नजारा रहता है। मैच का हर दर्शक क्रिकेट विशेषज्ञ होता है। भले ही उसे खेल का ककहरा न मालूम हो पर वह कमेन्ट करने से कोई बाज नहीं आता। हर आदमी साबित करने पर तुला होता है की वह तो क्रिकेट का ज्ञाता है। कई बार खेल से ज्यादा इसी पर बहस छीर जाती है की अमुक क्रिकेटर कहाँ का है, किस स्कूल में पढ़ा है उसका किससे रोमांस चल रहा है। हर आदमी यह सिद्ध करने के लिए उतावला रहता है की लेटेस्ट सुचनाये उसी के पास है। अ़ब विनम्रता का वह दौर ही ख़त्म हो गया की कोई कहे की इसके बारे में उसे ज्यादा जानकारी नहीं है। यह कहने का अर्थ है की आप हार गए। हो सकता है की इस कारन आप हाशिये पर डाल दिए जाए। यहाँ तक की लोग न जानते हुए भी कहीं का पता बता देते है। आख़िर वे कैसे स्वीकार कर ले की उन्हें अमुक जगह के बारे में नहीं मालूम। आजकल तो यह चलन है की आप कुछ भी ग़लत-सलत कहते जाइये। अपनी अज्ञानता को पुरे आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत कीजिए। आपका झूट भी सच मन लिया जाएगा।

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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............

jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......

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