सुबह और रात [सोने से पहले] हमारा मस्तिष्क अल्फ़ा अवस्था [alpha waves of brain]में होता हैं ,यह ऐसी अवस्था हैं की इस वक्त हम खुद को जो भी तस्वीर दिखायेंगे वह हमारे जीवन में धीरे धीरे हकीकत का रूप लेता जायेंगा | इस दौरान एक आम आदमी [कसबे/महानगर/शहर]का क्या करता हैं ?सुबह उठकर सबसे पहले [अभी अल्फ़ा अवस्था में ही]समाचार पत्र पढता हैं और चाय पीता हैं ,अखबारों में सबसे ज्यादा समाचार चोरी,हत्या,मृत्यु ,आकस्मिक बलात्कार आदि से भरे होते हैं ,और आप जैसा जानते हैं कि अवचेतन मन चित्रों की भाषा समझता हैं ,जब भी आप कोई चीज पढते हैं तो वह आपके जेहन में चित्रों कि भाषा में आता हैं ,जैसे आप सोचे ‘माँ’ .जेहन में तुरंत माँ कि तस्वीर आ जाती हैं |अगर आप सोचे कि मुझे कि काला बंदर के बारे में नही सोचना हैं तो भी दिन भर काला बंदर ही याद आयेंगा , अवचेतन मन ना /नही की भाषा नही समझता और रात को सोते समय ज्यादातर व्यक्ति टीवी पर समाचार देखते हुए सोते हैं और समाचार ज्यादातर नकारात्मक ही होते हैं ,वैज्ञानिकों ने अनुसंधानों के जरिये यह सिद्धह कर दिया हैं कि रात को सोते समय और सुबह उठकर आप जो भी देखते,पढते व सुनते हैं वह प्रबल रूप से आपके जीवन में आकर्षित होती हैं |
मिडिया को टी आर पी चाहियें इसके लिए वह घिनौनेपन और ओछेपन पर उतर आये तो कोई आश्चर्य कि बात बिल्कुल हीं नही हैं क्यूंकि मीडिया जानता हैं कि देश के कल्पनाशील मस्तिष्को को यदि थोड़ा बीज दे दिया जाय तो वटवृक्ष बनने में देर नही लगनी हैं ,आप तो जानते हीं हैं कि सिर्फ बीज से पौधे के साईज का अंदाज़ा लगाना मुश्किल हैं ,लगभग एक ही साईज के बीज घास के या विश्व के सबसे लंबे पौधे सिक्वोवा सेम्परवयिरेंस के होते हैं ,पोर्न स्टारों या यौन हिंसा /बलात्कार की खबरे जिन मिर्च मसालों के साथ परोसा जाता हैं ,वो कमजोर मस्तिष्को वाले व्यक्तियों को बहुत गहरे तक प्रभावित करता हैं ,इन खबरों के तले सकारात्मक खबरे दब जाती हैं |
“ बेटी बचाओ नवजात कन्या की सुरक्षा माँ तथा परिजन करे, थोड़ी बड़ी होने पर भाई सुरक्षा करे, फिर कुछ समय तक पिता सुरक्षा करे, फिर पति उसे सुरक्षा प्रदान करे, कुल मिलाकर हम माहौल ऐसा नही बना सकते कि जिसमे एक लड़की को बिना सुरक्षा के जीने की आजादी हो हद हो गयी ये तो”कल से टीवी पर दिल्ली में हुए रेप केस पर बुद्धिजीवियों की बहस चल रही है कोई उन्हें मानसिक रोगी बता रहा है कोई उनके लिए फं।सी की मांग कर रहा है और कोई अंग भंग करने की सलाह दे रहा है , लेकिन सवाल ये है की सांप निकल जाने के बाद ही लकीर क्यूँ पीटते हैं लोग , ये घटना न ही अपने आप में पहली है और न ही आखिरी कुछ दिन मीडिया ऐसे ही ढोल बजाएगा और फिर हम सब हलकट जवानी और तवे पर जवानी देखने में व्यस्त हो जा…येंगे ….. दामिनी फिल्म का एक डाइलोग याद आता है की "उर्मि को इन्साफ दिलाने क्या निकली हर जगह बलात्कार हुआ उसका , बार बार बलात्कार हुआ उसका " …. जरूरत मानसिकता में बदलाव की है वो कैसे सम्भव है ?आज औरत को एक उपभोग की वस्तु से ज्यादा कुछ नही दिखाया जाता , शेविंग क्रीम से लेकर जांघिये तक के विज्ञापनों में उसकी आवशयकता है , बाजारवाद के इस दौर में वो बस आकर्षक पैकिंग है , कोई भी घरेलू उत्पाद से लेकर फिल्मों तक उसकी देह से बिकते हैं , सेंसर बोर्ड में तमाम महिलाऐं हैं क्या कभी बोर्ड ने फिल्मों में दिन प्रतिदिन बढती अश्लीलता और गैर जरूरी दृश्यों पर रोक लग।नी चाही ?विदेशों से आ रही पोर्न स्टार्स को हमारे यहाँ के फ़िल्मकार देवी स्वरूप बताते हैं और उन्हें अपनी फिल्मों में लेने के लिए मरे जा रहे हैं ….समाज में खुलापन तब अच्चा लगता है जब लोगों की मानसिकता भी खुली हो …. कानून का डर अपराधियों में होना चाहिए लेकिन हमारे यहाँ आम जनता में है कोई भी बात हो लोगों की पहली सोच होती है अरे बाहर ही रफा दफा करो पुलिस के झन्झट में कौन पड़े क्यूंकि वहां जाकर जो झेलना पड़ता है वो शायद कहीं और ज्यादा अपमानजनक होता है , और क्या थाने महफूज़ है ? क्या वहां युवतियों को ऐसी घटनाओं से दो चार नही होना पड़ता ? उत्तर प्रदेश में तो ना जाने कितने दरोगा ऐसे तैनात है जिनपर खुद दुष्कर्म के आरोप लगे हुए हैं .अपने एरिया को अपराध मुक्त दिखने की चाह में कितनी FIR तो दर्ज़ ही नहीं की जाती , सारा ध्यान अपराध हटाने पर नही सिर्फ आकर्षक आंकडें दिखने पर रहता है ऐसे तत्वों को पकड़ने उनपर कार्यवाही करने की इच्छा शक्ति का नितांत अभाव है , तेरी कमीज़ मेरी कमीज़ से ज्यादा उजली कैसे की तर्ज़ पर तेरे आंकड़ें मेरे आंकड़ों से लुभावने कैसे या तेरे प्रदेश में बलात्कार मेरे प्रदेश से कम कैसे की बाजीगरी चलती रहती है …… पंगु कानून और उसपर उतनी ही लचर न्याय व्यवस्था , मामला कोर्ट तक आ भी जाये तो सालों लटकता रहता है , कैसे उम्मीद की जाये किसी को न्याय मिलने की …… यही प्रारब्ध है स्त्री का ऐसे देश में जहाँ उसे देवी माना जाता है , मत मानो देवी , सिर्फ एक इंसान भर रहने दो जिसे जीने का उतना ही अधिकार है जितना बाकी सबको जीने दो उसे उसके तरीके से-
"आज भी आदम की बेटी हंटरों की ज़द में है ,
हर गिलहरी के बदन पर धारियाँ होंगी ज़रूर…[फेसबुक स्टेट्स से... ]
देश में नेताओं और शराब के व्यापारियों ,बेईमान ठीकेदारों,नौकरशाहों माफियायो,दल्लो का बहुत आर्थिक विकास हुआ हैं ,ये लोग सड़कपर भी चलते हैं ,तो आम जनता कब कुचली जायेंगी ,या सड़क पर चलती लड़की कब इनके गाड़ी में खीच ली जायेंगी ,आप यकींन से नही कह सकते,आप सुरक्षा कि गारंटी भी नही दे सकते ,पंजाब में बेटी कि छेड़खानी का विरोध करने पर पुलिस अफसर को नेता जी के सपोले ने भून दिया |IPS/IAS/PCS/PPS हों गए तो अपनी शक्ति आम जनता पर दिखाने/प्रदर्शित का सुनहरा मौका पा गए ,थाना तो आपकी मुट्ठी में हैं ही ,किसी को भी पीटेंगे और यदि आपके खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखाने की बंदे ने दिलेरी दिखाई तो बंदा खुद अनेको इल्जाम में जायेंगा ही |जनता की सेवा करने जैसी बड़ी बड़ी बातें आप करेंगे,संकल्प लेंगे ,किन्तु फील्ड में आते हीं बदल जाते हैं |
कुकुरमुत्तों से भी ज्यादा तेज उगते प्राईवेट [इंजिनीयरिंग/मेडिकल/पैरामेडिकल ]कालेजो में जिस तरह से छात्रों में दारू /अफीम/हिरोइन/गांजे/वेश्याओ का फैशन चल रहा हैं ,उससे एक नए भविष्य का आभास होंता दिख रहा हैं |इन कालेजो से निकले लोग जब गाँवों में जाते हैं तो किसी घास ढोती अबला के मेहनत के पसीने की बुँदे नही दिखती….,उसकी फटी चोली से उसका जिस्म ही नजर आता हैं और वेबसी भरी लाज नही दिखती हैं | इन कालेजो में लड़के लड़कियों में फन और कैजुअल संबंधो के नाम पर जिस तरह यौन व्यवहार कि आपसी स्वीकृति मिली हैं ,उससे लगता हैं अगले कुछ सालों बाद शादी के लिए कोई पढ़ी लिखी कुंवारी/कुंवारा शायद ही मिले |
फिल्मे और साहित्य किसी भी राष्ट्र का दर्पण होता हैं ,आजकल जिस तरह से फिल्मे बनायीं जा रहीं हैं और सेंसर बोर्ड के द्वारा पास हों रही हैं ,बहुत ही शर्मनाक हैं ,वैसे तो रिमोट अपने हाथ में हैं ,[बुरी हैं तो मत देखो ] लेकिन हर व्यक्ति कि अपनी सोच होती हैं |देश कि ज्यादतर जनसंख्या अच्छे बुरे में अंतर करने के बजाय अंधानुकरण करने में हीं लगी रहती हैं ,अगर पड़ोसी ने किया तो …..करेंगे ,खुद कुछ भी करने में डरते हैं “लोग क्या कहेंगे”?इसी में परेशान रहते है|एडल्ट फिल्मे ,१८+ वाले देख सकते हैं ,पर हर फिल्म में एडल्ट फिल्मो कि तरह कामुक सीन देखने से छोटे बच्चो पर बहुत बुरा असर पड़ता हैं ,वैसे एडल्ट फिल्मे बने भी तो एजुकेशनल हों ,नही तो जब आम आदमी जब पहले से ही इतना कामुक हैं की किसी सड़क चलते स्त्री का बलात्कार कर देता हैं तो उस समाज में कामुक फिल्मे सिर्फ आग में घी का काम ही कर सकती हैं ,और ‘द्विअर्थी संवाद’ अभिवयक्ति के साधन ‘भाषा’ का बलात्कार के देतीं हैं |आज सिनेमा घरों में देसी कामुक फिल्मो कि सारी टिकटें बिक जाती हैं,पहले भी बिक जाती थी ,पर दर्शक वर्ग में आज देश के कर्णधार बढ़ गए हैं |
स्कूलों में जिस तरह ब्वायफ्रेंड/गर्लफ्रेंड का फैशन बढा हैं और क्लासरूम से यह सम्बन्ध बेडरूम तक पहुँच रहा हैं ,और वहाँ से MMS के रूप में इंटरनेट पर……,उसमें इन फिल्मो का बड़ा योगदान हैं,[यह अभिभावकों कि भूमिका पर भी प्रश्नचिंह हैं ] क्यूंकि गली के नुक्कड़ पर पाईरेटेड कैसेट आसानी से मिल जाती हैं ,स्कूलों में बच्चों कि बोलचाल की भाषा ही बदल गयी हैं ,कलयुग का द्रोणाचार्य अब बेटी समान छात्रा की लाज मांगता हैं ,आज शिक्षक और छात्र…… दोनों की नज़र बदल गयी हैं ,आज दोनों खासे करीब हैं ,पर एक मर्यादा की लाईन बनी रहें तभी विकास हों सकता हैं |डाक्टर ,इंजिनीयर ,अफसर से काफी बड़ा एक अध्यापक का ओहदा और जिम्मेदारी हैं क्यूंकि एक शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता हैं |
मित्रों उर्जा वहीँ बहती हैं जहाँ ध्यान रहता हैं ,हमे तय खुद ही करना होंगा कि हमे वास्तव में कैसा जीना हैं ,नकारात्मक बनकर भी जी सकतें हैं ,पर मुश्किलें कदम कदम पर अपार होंगी ,क्यूँ न हम अपने आप को आशा और विश्वास की तस्वीरे दिखाएँ,ऐसी जीवंत और उत्साह से भरी तस्वीरे दिखाएँ ….जिनमे जिंदगी रोमांच और उत्साह से जीने का विश्वास पैदा होता हों ,हम सभी इस पृथ्वी पर ईश्वर के अंश हैं ,समस्त ईश्वरीय तत्व हममे मौजूद हैं ,फिर क्यूँ हम इंसान भी बन के नही रह सकते ईश्वर तो बनना दूर की बात,आईये हम संकल्प करें की दूसरों कि घृणित मानसिकता और नकारात्मक विचारों [फिल्मों/ डेली सोप /अश्लीलता/नकारात्मक साहित्य/नकारात्मक खबरों ] से एक दूरी रखेंगे,अपनी जिंदगी का रिमोट अपने हाथ में रखेंगे और अपने बच्चों पर ध्यान देंगे,उनके विकास पर ध्यान देंगे ,उनके समुचित विकास हेतु उन्हें बुध्हू बक्से/नेट से दूर रखेंगे ,इन्टरनेट का उतना ही यूज उचित हैं जितना कि UTILITY हैं |ऐसा करके हम सच्चे देश भक्त का कर्तव्य निभा पायेंगे |
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......