क्रिसमस
ईसाई धर्म का सबसे अहम और विश्व का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है. हर साल 25
दिसम्बर को मनाया जाने वाला यह त्यौहार आज हर जाति और धर्म में समान
लोकप्रियता हासिल कर चुका है. इसकी रंगारंग धूमधाम और मनोरंजन को देखते
हुए अब ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ने लगे हैं.
क्रिसमस
भगवान ईसा मसीह (जिन्हें यीशु के नाम से भी पुकारा जाता है) के जन्मदिवस
के रुप में मनाया जाता है. ‘क्रिसमस’ शब्द ‘क्राइस्ट्स और मास’ दो शब्दों
के मेल से बना है, जो मध्य काल के अंग्रेजी शब्द ‘क्रिस्टेमसे’ और पुरानी
अंग्रेजी शब्द ‘क्रिस्टेसमैसे’ से नकल किया गया है. 1038 ई. से इसे
‘क्रिसमस’ कहा जाने लगा. इसमें ‘क्रिस’ का अर्थ ईसा मसीह और ‘मस’ का अर्थ
ईसाइयों का प्रार्थनामय समूह या ‘मास’ है. यीशु के जन्म के संबंध में नए
टेस्टामेंट के अनुसार व्यापक रूप से स्वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा है. इस
कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक
देवदूत भेजा. गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म
देगी तथा बच्चे का नाम यीशु रखा जाएगा. वह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा
उसके राज्य की कोई सीमाएं नहीं होंगी.
जिस रात
को जीसस का जन्म हुआ, उस समय लागू नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत
कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्ते में थे.
उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को यीशु को जन्म
दिया तथा उसे एक नांद में लिटा दिया. इस प्रकार प्रभु के पुत्र यीशु का
जन्म हुआ.
इसके साथ
ही एक चीज और है कि यीशु के जन्म और सांता क्लॉज का आपस में कोई खास
संबंध नही है. सांता क्लॉज को याद करने का चलन 4वीं शताब्दी से आरंभ हुआ था
और वे संत निकोलस थे जो तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप थे. सांता
क्लाज़, लाल व सफेद ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो
रेन्डियर पर सवार होता है, तथा समारोहों में, विशेष कर बच्चों के लिए एक
महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वह बच्चों को प्यार करता है तथा उनके
लिए चाकलेट, उपहार व अन्य वांछित वस्तुएं लाता है, जिन्हें वह संभवत:
रात के समय उनके जुराबों में रख देता है.
क्रिसमस
के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं. वे प्यार व भाई चारे
का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं. क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए पूरे
विश्व में लोकप्रिय है. लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर
कोने में मिसलटों को टांगते हैं. चर्च मास के बाद, लोग मित्रवत रूप से एक
दूसरे के घर जाते हैं तथा दावत करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं व
उपहार देते हैं. वे शांति व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं.
टिप्पणियाँ
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......