आते-जाते
रास्तों पर मिलते थे वो
मिलना भी क्या
नजरों से मिलती थी नजर
बस यूं ही सिलसिला चलता रहा
एक दिन नहीं, दो दिन नहीं
सालों- सालों तक ऐसा ही चला
उनका आना, नजरे झुका कर जाना
ऐसे ही एक दिन मिले वो
उन्होंने हिला दिए लब अपने
और
मुझे लगा उन्होंने कुछ कहा
उनका कुछ कहना या न कहना
मेरा कुछ समझना या न समझना
उनके आने से पहले ही
मेरा वहां पहुंचना
होने लगा मेरे लिए जरूरी
एक नजर भर देखने के लिए
चौबीस घंटे का इंतजार खलने लगा
एक नजर के चक्कर में
छूट गया सब कुछ
दिन-रात बैचेनी होती थी
इस बैचेनी में न मिली कामयाबी
हुआ यूं कि
न मैंने उन्हें कुछ कहा
न उन्होंने कुछ कहा मुझे
बस यूं ही अनजाने में
समय गुजर गया अपना
अब क्या
न वो मिलते है रास्ते में
न ही इच्छा होती कुछ करने की
बस यूं ही चल रहा हूं जीवन पथ पर
रास्तों पर मिलते थे वो
मिलना भी क्या
नजरों से मिलती थी नजर
बस यूं ही सिलसिला चलता रहा
एक दिन नहीं, दो दिन नहीं
सालों- सालों तक ऐसा ही चला
उनका आना, नजरे झुका कर जाना
ऐसे ही एक दिन मिले वो
उन्होंने हिला दिए लब अपने
और
मुझे लगा उन्होंने कुछ कहा
उनका कुछ कहना या न कहना
मेरा कुछ समझना या न समझना
उनके आने से पहले ही
मेरा वहां पहुंचना
होने लगा मेरे लिए जरूरी
एक नजर भर देखने के लिए
चौबीस घंटे का इंतजार खलने लगा
एक नजर के चक्कर में
छूट गया सब कुछ
दिन-रात बैचेनी होती थी
इस बैचेनी में न मिली कामयाबी
हुआ यूं कि
न मैंने उन्हें कुछ कहा
न उन्होंने कुछ कहा मुझे
बस यूं ही अनजाने में
समय गुजर गया अपना
अब क्या
न वो मिलते है रास्ते में
न ही इच्छा होती कुछ करने की
बस यूं ही चल रहा हूं जीवन पथ पर
टिप्पणियाँ
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......