भारतीय इतिहास में एक से बढ़कर एक शिक्षक रहे हैं। राम से लेकर विवेकानंद तक जितने भी युगनायक हुए हैं, उनके पीछे किसी महान गुरु का आशीर्वाद और शिक्षा रही है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन से ऐसे महान गुरु हैं जिन्होंने युगनायकों को जन्म दिया है।
सांदीपनि - भगवान श्रीकृष्ण के गुरु आचार्य सांदीपनि थे। उज्जैयिनी वर्तमान में उज्जैन में अपने आश्रम में आचार्य सांदीपनि ने भगवान श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी। भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण ने सर्वज्ञानी होने के बाद भी सांदीपनि ऋषि से शिक्षा ग्रहण की और ये साबित किया कि कोई इंसान कितना भी प्रतिभाशाली या गुणी क्यों न हो, उसे जीवन में फिर भी एक गुरु की आवश्यकता होती ही है। भगवान श्रीकृष्ण ने 64 दिन में ये कलाएं सीखीं थी। सांदीपनि ऋषि परम तपस्वी भी थे, उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर यह वरदान प्राप्त किया था कि उज्जैयिनी में कभी अकाल नहीं पड़ेगा।
वशिष्ठ - त्रैतायुग में भगवान राम के गुरु रहे श्री वशिष्ठ भी भारतीय गुरुओं में उच्च स्थान पर हैं। भगवान राम की प्रतिभा और उनके सद्व्यवहार को सबसे पहले श्री वशिष्ठ ने ही पहचाना। उन्होंने भगवान राम के व्यक्तित्व को देखते हुए पहले ही घोषणा कर दी थी कि ये भविष्य में सूर्यवंश राम के नाम से ही जाना जाएगा। भगवान राम ने सारी वेद-वेदांगों की शिक्षा वशिष्ठ ऋषि से ही प्राप्त की थी।
विश्वामित्र - भगवान राम को परम योद्धा बनाने का श्रेय विश्वामित्र ऋषि को जाता है। एक क्षत्रिय राजा से ऋषि बने विश्वामित्र भृगु ऋषि के वंशज थे। भगवान राम के पास जितने भी दिव्यास्त्र थे, वे सब विश्वामित्र ऋषि के दिए हुए थे। विश्वामित्र को अपने जमाने का सबसे बड़ा आयुध अविष्कारक माना जाता है। उन्होंने ब्रह्मा के समकक्ष एक और सृष्टि की रचना कर डाली थी।
द्रोणाचार्य - द्वापरयुग में कौरवों और पांडवों के गुरु रहे द्रोणाचार्य भी श्रेष्ठ शिक्षकों की श्रेणी में काफी सम्मान से गिने जाते हैं। द्रोणाचार्य ने अर्जुन जैसे योद्धा को शिक्षित किया, जिसने पूरे महाभारत युद्ध का परिणाम अपने पराक्रम के बल पर बदल दिया। द्रोणाचार्य अपने युग के श्रेष्ठतम शिक्षक थे।
चाणक्य - आचार्य विष्णु गुप्त यानी चाणक्य कलयुग के पहले युगनायक माने गए हैं। दुनिया के सबसे पहले राजनीतिक षडयंत्र के रचयिता आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य जैसे साधारण भारतीय युवक को सिकंदर और धनानंद जैसे महान सम्राटों के सामने खड़ाकर कूटनीतिक युद्ध कराए। चंद्रगुप्त मौर्य को अखंड भारत का सम्राट बनाया। पहली बार छोटे-छोटे जनपदों और राज्यों में बंटे भारत को एक सूत्र में बांधने का कार्य आचार्य चाणक्य ने किया था। वे मूलत: अर्थशास्त्र के शिक्षक थे लेकिन उनकी असाधारण राजनीतिक समझ के कारण वे बहुत बड़े रणनीतिकार माने गए।
रामकृष्ण परमहंस - स्वामी विवेकानंद के गुरु आचार्य रामकृष्ण परमहंस भक्तों की श्रेणी में श्रेष्ठ माने गए हैं। मां काली के भक्त श्री परमहंस प्रेममार्गी भक्ति के समर्थक थे। ऐसा माना जाता है कि समाधि की अवस्था में वे मां काली से साक्षात वार्तालाप किया करते थे। उन्हीं की शिक्षा और ज्ञान से स्वामी विवेकानंद ने दुनिया में हिंदू धर्म की पताका फहराई।
ये दौलत भी ले लो , ये शोहरत भी ले लो भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन वो कागज़ की कश्ती , वो बारिश का पानी स्वर्गीय श्री सुदर्शन फाकिर साहब की लिखी इस गजल ने बहुत प्रसिद्धि पाई,हर व्यक्ति चाहे वह गाता हो या न गाता हो, इस ग़ज़ल को उसने जरुर गुनगुनाया,मन ही मन इन पंक्तियों को कई बार दोहराया. जानते हैं क्यु?क्युकी यह ग़ज़ल जितनी सुंदर गई गई हैं,सुरों से सजाई गाई गई हैं,उससे भी अधिक सुंदर इसे लिखा गया हैं, इसके एक एक शब्द में हर दिल में बसने वाली न जाने कितनी ही बातो ,इच्छाओ को कहा गया हैं। हम में से शायद ही कोई होगा जिसे यह ग़ज़ल पसंद नही आई इसकी पंक्तिया सुनकर उनके साथ गाने और फ़िर कही खो जाने का मन नही हुआ होगा,या वह बचपनs की यादो में खोया नही होगा। बचपन!मनुष्य जीवन की सर्वाधिक सुंदर,कालावधि.बचपन कितना निश्छल जैसे किसी सरिता का दर्पण जैसा साफ पानी,कितना निस्वार्थ जैसे वृक्षो,पुष्पों,और तारों का निस्वार्थ भाव समाया हो, बचपन इतना अधिक निष्पाप,कि इस निष्पापता की कोई तुलना कोई समानता कहने के लिए, मेरे पास शब्द ही नही हैं।
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......