एक बार की बात है। एक बाप अपने तीन बेटों में संपत्ति बांटना चाहता था लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि तीनों में से किस बेटे को अपनी जायदाद दे। तीनों जुड़वा थे उम्र से भी तय नहीं किया जा सकता है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तो उसने फकीर से सलाह ली। फकीर ने उसे एक तरीका बताया । उसने बेटों से कहा मैं तीर्थ यात्रा पर जा रहा हूं और बेटों को उसने कुछ बीज दिए और कहा कि इन बीजों को सम्हाल कर रखना। उसके बाद उनके पिता तीर्थ पर चले गए उसके बाद लम्बे समय के बाद लौटे। वे एक-एक कर तीनों के घर गए। पहले बेटेे के घर पहुंचे। पहले बेटे से उन्होंने पूछा बेटा मैंने जो तुम्हे बीज दिए थे उसका तुमने क्या किया? उसने कहा पिताजी कौन से बीज मुझे तो याद ही नही। पिता ने उसे कुछ भी नहीं कहा। उसके बाद पिता ने अपने दूसरे बेटे के घर जाकर भी यही प्रश्र किया। उसने अपनी तिजोरी की चाबी पिता को दे दी और कहा मैंने आपकी अमानत को तिजोरी में सम्हाल कर रखा है। पिता को फिर निराशा हुई। अब वे तीसरे बेटे के पास गए और वही प्रश्र दोहराया। उसने कहा पिताजी आप को मेरे साथ कहीं चलना होगा। दोनों थोड़ी दूर चले और सामने एक बगीचा था। पुत्र ने कहा पिताजी ये रहे आपके बीज। पिता का दिल खुशी से झुम उठा और उसने खुश होकर अपनी सारी जायदाद अपने तीसरे बेटे के नाम कर दी। परमात्मा ने हर किसी को हुनर दिया है, सभी को समान शरीर दिया है और संभावनाएं भी। पर फर्क सिर्फ इस बात से पड़ता है कि आप किसी मौके में या अपने आप में कितनी संभावनाऐ देखते है और आप मौक ा हो या शरीर कितनी बेहतर तरीके से उसका उपयोग करते हैं। पिता ने अपने तीनों बेटों को समान बीज दिए थे पर तीनों ने उसका अपने ढंग से उपयोग किया। वैसे ही परमात्मा ने हम सभी को जीवन और अपने स्तर की संभावनाएं दी हैं। बस सब कु छ इसी पर टिका है कि हम उसका उपयोग कैसे करते हैं
एक बार की बात है। एक बाप अपने तीन बेटों में संपत्ति बांटना चाहता था लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि तीनों में से किस बेटे को अपनी जायदाद दे। तीनों जुड़वा थे उम्र से भी तय नहीं किया जा सकता है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तो उसने फकीर से सलाह ली। फकीर ने उसे एक तरीका बताया । उसने बेटों से कहा मैं तीर्थ यात्रा पर जा रहा हूं और बेटों को उसने कुछ बीज दिए और कहा कि इन बीजों को सम्हाल कर रखना। उसके बाद उनके पिता तीर्थ पर चले गए उसके बाद लम्बे समय के बाद लौटे। वे एक-एक कर तीनों के घर गए। पहले बेटेे के घर पहुंचे। पहले बेटे से उन्होंने पूछा बेटा मैंने जो तुम्हे बीज दिए थे उसका तुमने क्या किया? उसने कहा पिताजी कौन से बीज मुझे तो याद ही नही। पिता ने उसे कुछ भी नहीं कहा। उसके बाद पिता ने अपने दूसरे बेटे के घर जाकर भी यही प्रश्र किया। उसने अपनी तिजोरी की चाबी पिता को दे दी और कहा मैंने आपकी अमानत को तिजोरी में सम्हाल कर रखा है। पिता को फिर निराशा हुई। अब वे तीसरे बेटे के पास गए और वही प्रश्र दोहराया। उसने कहा पिताजी आप को मेरे साथ कहीं चलना होगा। दोनों थोड़ी दूर चले और सामने एक बगीचा था। पुत्र ने कहा पिताजी ये रहे आपके बीज। पिता का दिल खुशी से झुम उठा और उसने खुश होकर अपनी सारी जायदाद अपने तीसरे बेटे के नाम कर दी। परमात्मा ने हर किसी को हुनर दिया है, सभी को समान शरीर दिया है और संभावनाएं भी। पर फर्क सिर्फ इस बात से पड़ता है कि आप किसी मौके में या अपने आप में कितनी संभावनाऐ देखते है और आप मौक ा हो या शरीर कितनी बेहतर तरीके से उसका उपयोग करते हैं। पिता ने अपने तीनों बेटों को समान बीज दिए थे पर तीनों ने उसका अपने ढंग से उपयोग किया। वैसे ही परमात्मा ने हम सभी को जीवन और अपने स्तर की संभावनाएं दी हैं। बस सब कु छ इसी पर टिका है कि हम उसका उपयोग कैसे करते हैं
टिप्पणियाँ
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......