अक्सर लोग भविष्य के चक्कर में अपने आज के जीवन को भुला देते हैं।कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अतीत को ही सोचते रहते हैं, और उनका आज हाथ से छूट जाता है। और कुछ ऐसे लोग होते जो भविष्य के खयालों में ही खोए रहते हैं और कभी अपने वर्तमान की परवाह नहीं करते और आज में जीना भूल जाते हैं। अधिकतर लोगों का जीवन बीते दिनों की यादें या भविष्य की कल्पनाओं में बीत जाता है। लेकिन वे इससे कुछ हासिल नहीं कर पाते। लेकिन सच तो यह है कि अतीत और भविष्य दोनों हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। सच तो केवल आज है जिसमें हम जी रहे हैं।
तीन दोस्त एक साथ लम्बी यात्रा पर गए। वे एक रेगिस्तान से भी गुजरे। रेगिस्तान बहुत लम्बा था, रास्ते में आंधी आ गई। वे तीनों रास्ता भटक गए। उनका सारा सामान खो गया। उनके पास केवल रोटी का एक टुकड़ा और एक छोटी सी बोतल में पानी जो कि जैसे-तैसे बच गया था। उसमें तीनों की पूर्ति नही हो सकती थी। उन्होंने सोचा, बजाय इसके हम तीनों इसको खाएं और तीनों ही मर जाएं, इससे अच्छा है हम में से एक इसे खा ले और मंजिल तक पहुंच जाए। उन तीनों में विवाद हो गया कि कौन इसे खाए? कोई फैसला नहीं हो सका। तो तीनों ने यह सोचा कि हम सो जाएं और रात में हम तीनों में से जो सबसे अच्छा सपना देखेगा वह सुबह रोटी-पानी का हकदार होगा वो तीनों सो गए।
फिर सुबह उठे, उनमें से एक ने कहा मैंने बहुत अच्छा सपना देखा, मैंने देखा सपने में परमात्मा खड़ा है और उसने मुझसे कहा कि तेरा अतीत पवित्र है और आज तक के तेरे इस पवित्र जीवन के कारण तू रोटी-पानी ग्रहण करने का अधिकारी है। फि र दूसरे दोस्त ने कहा मेरे सपने में आकाश वाणी हुई, मैंने एक चमकीला प्रकाश देखा। आकाशवाणी से आवाज आई कि तेरा भविष्य उज्जवल है, तू ही भोजन का अधिकारी है। आने वाले दिनो में तू जगत का कल्याण करेगा। दोनो मित्रों ने तीसरे से पूछा तुमने क्या देखा तो वह बोला मुझे न तो कोई आवाज सुनाई दी न कोई परमात्मा दिखाई दिया मुझे तो मेरे भीतर से आवाज आई। तू उठ और रोटी- पानी ग्रहण कर ले इसलिए मैं तो खा भी चुका हूं।
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......