कई लोग अपनी सारी असफलता और परेशानी को भगवान या किस्मत पर छोड़ देते हैं। जब भी किसी काम में अच्छे परिणाम नहीं मिलते तो लोग किस्मत को कोसने लगते हैं, या अपनी हार को भगवान के मत्थे मढ़ देते हैं।
कई लोग यह सोचकर दोबारा प्रयास भी नहीं करते कि शायद किस्मत में लिखा ही नहीं है। ऐसे में निराशा हम पर हावी हो जाती है। हम कोशिशें बंद कर देते हैं और फिर निष्क्रिय रहना हमारा स्वभाव बन जाता है।
एक राजा के दरबार में विरोचन और मुनि दो गायक थे। विरोचन की गायकी का पूरा दरबार कायल था, हर कोई उसे ही सुनता था। मुनि को यह बात अखरती थी। धीरे-धीरे उसने इसे अपनी किस्मत समझकर समझौता कर लिया। हर कोई विरोचन को मुनि से बेहतर मानता था क्योंकि दरबार में ज्यादातर विरोचन ही सुने जाते थे।
लगातार खुद की उपेक्षा होते देख, मुनि ने अपना नियमित अभ्यास भी छोड़ दिया। वह रोज शिव मंदिर के सामने बैठकर खुद की किस्मत और भगवान को कोसता रहता। एक दिन भगवान ने सोचा क्यों ना इसकी भी सुन ली जाए। मुनि मंदिर में बैठा भगवान को अपनी खराब किस्मत के लिए कोस रहा था तभी शिवजी प्रकट हो गए। उन्होंने कहा मुनि तू क्या चाहता है।
मुनि ने कहा मुझे भी विरोचन की तरह दरबार में किसी खास मौके पर गाने के लिए मौका चाहिए, लेकिन मेरी किस्मत में ऐसा मौका लिखा ही नहीं है। भगवान ने कहा ठीक है मैं तुझे एक मौका देता हूं। कुछ दिनों बाद राजा के दरबार में कुछ दूसरे राजा और विद्वान आए। उनके मनोरंजन के लिए विरोचन को बुलाया गया। लेकिन उस दिन विरोचन का गला खराब था। राजा ने मुनि को गाने का आदेश दिया।
चूंकि मुनि तो रियाज ही नहीं करता था, इस कारण वो ठीक से गा नहीं पाया। राजा को यह बात बुरी लगी। उसने मुनि को हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया। दुखी मुनि मंदिर पहुंचा तो वहां शिवजी पहले से बैठे थे। मुनि ने उनसे फिर शिकायत की। उसने कहा मौका दिया तो पहले बता तो देते मैं थोड़ा अभ्यास कर लेता। शिवजी हंस दिए।
उन्होंने समझाया कि मुनि जीवन में कोई भी अवसर बताकर नहीं आता, किस्मत कब खुल जाए, कब तुम्हें जीवन का सबसे बड़ा अवसर मिल जाए, यह तय नहीं है। हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए। तुमने तो आस ही छोड़ दी, अभ्यास छोड़ दिया इसलिए तुम्हें आज अपमानित होना पड़ा।
आधुनिक युग में मैं(अहम) का चलन कुछ ज्यादा ही चरम पर है विशेषकर युवा पीढ़ी इस मैं पर ज्यादा ही विश्वास करने लगी है आज का युवा सोचता है कि जो कुछ है केवल वही है उससे अच्छा कोई नहीं आज आदमी का ईगो इतना सर चढ़कर बोलने लगा है कि कोई भी किसी को अपने से बेहतर देखना पसंद नहीं करता चाहे वह दोस्त हो, रिश्तेदार हो या कोई बिजनेस पार्टनर या फिर कोई भी अपना ही क्यों न हों। आज तेजी से टूटते हुऐ पारिवारिक रिश्तों का एक कारण अहम भवना भी है। एक बढ़ई बड़ी ही सुन्दर वस्तुएं बनाया करता था वे वस्तुएं इतनी सुन्दर लगती थी कि मानो स्वयं भगवान ने उन्हैं बनाया हो। एक दिन एक राजा ने बढ़ई को अपने पास बुलाकर पूछा कि तुम्हारी कला में तो जैसे कोई माया छुपी हुई है तुम इतनी सुन्दर चीजें कैसे बना लेते हो। तब बढ़ई बोला महाराज माया वाया कुछ नहीं बस एक छोटी सी बात है मैं जो भी बनाता हूं उसे बनाते समय अपने मैं यानि अहम को मिटा देता हूं अपने मन को शान्त रखता हूं उस चीज से होने वाले फयदे नुकसान और कमाई सब भूल जाता हूं इस काम से मिलने वाली प्रसिद्धि के बारे में भी नहीं सोचता मैं अपने आप को पूरी तरह से अपनी कला को समर्पित कर द...
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Aap sabhi bhaiyo & bahno se anurodh hai ki aap sabhi uchit comment de............
jisse main apne blog ko aap sabo ke samne aur acchi tarah se prastut kar saku......