मनुष्य का पूरा जीवन एक पाठशाला है यहां हर वक्त किसी न किसी पहलु पर हमें कुछ न कुछ सीखने को जरूर मिलता है जिदंगी का हर क्षण हमें कुछ न कुछ सीख जरूर देता है। स्वामी रामतीर्थ जापान की यात्रा पर थे। जिस जहाज से वह जा रहे थे, उसमें नब्बे वर्ष के एक बुजुर्ग भी थे। स्वामी जी ने देखा कि वह एक पुस्तक खोल कर चीनी भाषा सीख रहे हैं। वह बार-बार पढ़ते और लिखते जाते थे। स्वामी जी सोचने लगे कि यह इस उम्र में चीनी सीख कर क्या करेंगे। एक दिन स्वामी जी ने उनसे पूछ ही लिया, 'क्षमा करना। आप तो काफी वृद्ध और कमजोर हो गए हैं। इस उम्र में यह कठिन भाषा कब तक सीख पाएंगे। अगर सीख भी लेंगे तो उसका उपयोग कब और कैसे करेंगे।यह सुन कर उस वृद्ध ने पहले तो स्वामी जी को घूरा, फिर पूछा, 'आपकी उम्र कितनी है? स्वामी जी ने कहा, 'तीस वर्ष।बुजुर्ग मुस्कराए और बोले, 'मुझे अफसोस है कि इस उम्र में आप यात्रा के दौरान अपना कीमती समय बेकार कर रहे हैं। मैं आप लोगों की तरह नहीं सोचता। मैं जब तक जिंदा रहूंगा तब तक कुछ न कुछ सीखता रहूंगा। सीखने की कोई उम्र नहीं होती। यह नहीं सोचूंगा कि कब तक जिंदा रहूंगा, क्योंकि मृत्यु...
जिन्दगी नाम हैं,हर पल जीने का। रोने का, हँसने का, युही कुछ गाने का। जिन्दगी नाम हैं, लड़ने का,जितने का,हारने का और फ़िर मुस्कुराने का। जिन्दगी नाम हैं उड़ने का,गिरने का और आसमानों पार जाने का । जिन्दगी नाम हैं बहने का ,न थमने का, नदियाँ की तरह बस बहते जाने का।